durga ji ki aarti - श्री दुर्गा जी की आरती - Hindi Darshnik

मंगलवार, 10 अक्तूबर 2023

Maa Durga Ji Ki Aarti - दुर्गा जी की आरती हिंदी में

durga ji ki aarti om jai ambe gauri



Durga Ji Ki Aarti Lyrics in hindi श्री दुर्गा जी आरती हिंदी में 


दोस्तों माँ दुर्गा समस्त संसार की जननी मानी गयी है। और हमारे सनातन धर्म में समस्त प्राणी मात्रमाँ दुर्गा की भक्ति करके मनोवांछित फल प्राप्त करते है। माँ दुर्गा समस्त पापो का नाश करने वाली संकट निवारिणीमोक्षदायिनी है। उन्ही माँ दुर्गा जी के चरणों में प्रणाम करके उनकी समस्त मनोवांछितफल प्रदान करने वाली आरती को आप सभी भक्तो के लिए लिखने जा रहा हूँ। इसमें जो कुछ भी त्रुटी होतो मुझे अबोध बालक समझकर माँ दुर्गा और आप सभी क्षमा करे।


        Durga Ji Ki Aarti lyrics – दुर्गा जी की आरती लिरिक्स



      जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।


           तुमको निशदिन ध्यावत, हरी ब्रम्हा शिवरी।।


    ओम जय अम्बे गौरी


 

1.   मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमद को।


     उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको ।।


    ओम जय अम्बे गौरी


 

  2.   कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।


   रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।।


  ओम जय अम्बे गौरी


 

3. केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर

 धारी।


             सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःख हारी।।


     ओम जय अम्बे गौरी


 

   4.   कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।


       कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति।।


       ओम जय अम्बे गौरी

 


   5.   शुम्भ-निशुम्भ विडारे, महिषासुर घाती ।


धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती।।


ओम जय अम्बे गौरी

 


6.   चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।


      मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।


     ओम जय अम्बे गौरी


 

7.   ब्रम्हाणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।


        आगम-निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।


     ओम जय अम्बे गौरी



 

          8.   चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैंरू।


    बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।


    ओम जय अम्बे गौरी


 

    9.   तुम ही जग जी माता, तुम ही हो भर्ता।


      भक्तन की दुख हरता, सुख संपत्ति करता।।


ओम जय अम्बे गौरी


 

10.    भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी।


    मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।


ओम जय अम्बे गौरी


 

11.   कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।


       श्रीमाल केतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।


    ओम जय अम्बे गौरी


 

  12.   श्री अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गांवे।


       कहत शिवानन्द स्वामी, मन इच्छा फल पांवे।।


    ओम जय अम्बे गौरी




                    जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी हो मैया


                   आनंद्करनी, मैया जय संकटहरिणी, मैया मंगलमूर्ति


                       तुमको निशदिन ध्यावत, हरी ब्रम्हा शिवरी।।


                        ओम जय अम्बे गौरी



Shri durga ji ki arti



इन्हें भी देंखे –

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें