Tabla history - तबला का इतिहास
तबला प्राचीन वाद्यन्त्रो
में से एक है, प्राचीन काल से इसका प्रयोग गायन, वादन तथा नृत्य आदि कलां की संगत
करने के लिए जाता रहा है। “Tabla” पखाबज का ही एक परिवर्तित रूप है। तबला की
उत्पत्ति “Pakhabaj” से ही मानी जाती है। पखाबज को दो हिस्सों में काटकर तबला का
निर्माण किया गया.
Tabla parts - तबला के भाग
तबला को दो भागो में
विभाजित किया गया है -
1.
दाहिना तबला – दाहिना Tabla को कुछ लोग दाहिना अथवा “Duggi”
भी कहते है, यह डुग्गी शीशम की लकड़ी की बनी होती है। इसके ऊपर चमड़े का आवरण चढ़ा
होता है। उपर चित्र में आप देख सकते है.
2.
बांया तबला – बांये
तबले को “Dagga” कहा जाता है यह Steel पीतल और Taambe आदि धातुओ का बना होता
है। इसमें भी चमड़े का आवरण चढ़ा
होता है उपर चित्र में आप देख सकते है। चमड़े से मढ़े हुए मुख पर भी तीन भाग होते
है.
1. चाटी किनारा – tabla पर
सबसे किनारे का भाग
2. मैदान
लव - तबले पर स्याही और किनारे के बीच का भाग
3. बीच या स्याही - तबले पर सबसे किनारे का भाग
तबले के बीचो-बीच जो काले
रंग Rang का चकते जैसा bhag “syahi” कहलाता है। यह चावल या गेंहू
के मांड में कई प्रकार की चीजों को मिला कर लेप तैयार करके बनाया जाता है, जो
सूखने के बाद Khanakdaar आवाज प्रदान करता है.
➤ लय ताल
Tabla ke bol - तबला के बोल
तबले पर बजने वाले बोलो को
शब्द, अक्षर या वर्ण कहते है। ये बोल अलग-अलग “Gharano”
व विद्वानों द्वारा भिन्न-भिन्न तरीके से बताये गए है। लेकिन साधारणतः जो “Bol” तबले पर बजाये जाते है, तालो “Rythm”
के अनुसार आगे आने वाले लेसनों में देंखेंगे.
Tabla vadak - तबला वादक
तबला वादकों में “Punjab” घराने
के अल्लाह रक्खा खा और उनके पुत्र “Jaakir Hussain” का नाम सबसे पहले लिया जाता है।
और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर चतुरलाल साहब का, उल्लेखनीय योगदान रहा है। और भी कई नाम
ऐसे है, जिन्होंने “Tabla vadan” के क्षेत्र
में अपना नाम रोशन किया है.
Tabla price - तबला की कीमत
तबला की वास्तविक कीमत तो
उसके parts पर निर्भर करती है, क्योंकि तबले पर किस किस्म की लकड़ी और धातु का
इस्तेमाल किया गया है. तथा chamde के पूड़े किस Quality के है। इनके आधार पर ही तबले की “Actual price” तय की जाती है.
वैसे तो High quality का Tabla शीशम की लकड़ी और “Peetal” या ताम्बे की धातु से बना माना जाता है। लेकिन पीतल और ताम्बे से बने हुए Dagge की कीमत ज्यादा होने से लोग. ज्यादातर स्टील धातु
से बने डग्गे इस्तेमाल करते है.
और बांया
तबला “Shisham” या अन्य लकड़ी से बने उसे करते है। सामान्यतः “Tabla ki price” 3000
रु से लेकर 10 या 12 हज़ार तक है, लेकिन इससे भी महंगे तबले मिलते है, वो उनकी
quality पर निर्भर करता है.
Compositions of tabla - तबला की रचनाये
Tabla पर बजने वाली रचनाये निम्न है-
बोल –
तबले में बजने वाले शब्द समूहों को Bol कहते है.
मुखड़ा – सम पर आने से पहले या ठेका बजाने के बाद बीच से
बजाकर वापस sam पर आने से पहले, जो बोल तिहाई या बिना तिहाई के बजाये जाते है। वे
प्रायः एक आवर्ती से कम के होते है, उन्हें “Mukhda” कहते है.
मोहरा – मोहरा और मुखड़ा में केवल स्थान भेद है। तबला
वादन में Theka प्रारंभ करने से पूर्व जिस रचना को बजाकर “सम” पर आते है, उसे “Mohra”
कहते है। यदि ठेका बजाने के बाद बीच से 9 वी या 13 वी maatra से बजाकर सम पर आते
है’ तो उसे “मुखड़ा” कहते है.
उठान – “Tantra
vadak” की संगती अथवा नृत्य के प्रारंभ में या तबला वादन में ठेका, प्रारंभ करने
से पूर्व जिन Bolo को बजाया जाता है, “Uthan” कहलाते है। मुखड़ा, मोहरा, उठान एक ही
पहलु के तीन रूप है, केवल बजाने का स्थान अलग है.
कायदा – जिन Bolo के नियमित समूह की रचना “Tal” के विभाग
और ताली, खाली के अनुसार होती है। तथा जिसमे ताल के अनुरूप ही बोल लगाये जाते है,
उसे “Kaayda” कहते है। यह एक या दो आवर्तन का हो सकता है। तथा इसमें बोलो का
विस्तार करना दुसरे शब्दों में Palte बनाना संभव होता है.
परन – इसमें खुले बोलो के आधार पर तबले से निर्मित
Rachna बजायी जाती है। “Paran” कहलाती है, इसमें अनगिनत prakar की “Laya” का
समावेश होता है। तथा यह कम से कम दो या तीन आवर्ती की होती है.
तिहाई – तिहाई का शाब्दिक, अर्थ तीन आवर्तन में बोलो को
बजाना या दुसरे शब्दों में जब कोई Bol किसी maatra या स्थान से उठकर, तीन बार बजने
पर अंतिम “Dha” सम पर आता है, तो उस बोल या रचना
को “Tiya” या “Tihai” कहते है.
प्रायः तिहाई का प्रयोग वादन को समाप्त करने के लिए किया
जाता है, लेकिन इसका प्रयोग कायदा, Rela, लग्गी आदि से सम पर आने के लिए भी किया
जाता है. तिहाई दो प्रकार की होती है -
- दमदार तिहाई
- बेदम की तिहाई
रेला – किसी ताल या रचना में एक ही Prakar के बोलो को
बार-बार ठहरते हुए, बजाना या कायदे Dugun के स्थान पर अठगुण या “Chougun” में
बजाना। “Rela” कहलाता है.
पलटा – कायदे में बजने वाले Bolo को उलट-पलट का “Taal”
के रूप को ना बदलते हुए, नयी रचनाये या कायदे का Vistar करना ही “Palta” कहलाता
है.
टुकड़ा – टुकड़ा उन सभी rachnao को कहा जाता है, जिनमे
कायदा, रेला की तरह विस्तार करना संभव नहीं होता है। इसके अंतर्गत “Gat” एवं परन
आदि आते है। यह एक से लेकर तीन Aavartan का हो सकता है.
पेशकार – जिन बोलो या रचना में कायदे के कठोर नियमो को
ना अपनाकर Chaal के विस्तृत palto की रचना स्वतंत्र रूप से की जाए “Peshkaar”
कहलाता है। यह एक “Urdu” शब्द है, जो कायदे का ही एक प्रकार है.
लग्गी – किसी “Bhajan” या ताल के ठेके में स्थायी के
बोलो में उठान, लगाकर “Laggi” का प्रयोग किया जाता है। तथा tihai लगाकर वापस theke
पर आया जाता है.
इस lesson में हमने तबले का इतिहास “Tabla ki paribhasha”
व उसके parts और उससे सम्बंधित रचनाओ का अवलोकन किया. ताकि आगे आने वाले लेसनों में
इस rachnao से सम्बंधित बोल समझने में आसानी हो। आगे के लेसन में हम Trital कि
परिभाषा “Tintal bol” और तीनताल और विलंबित
तीनताल स्वरुप को समझेंगे.
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