Lesson
-1
Lay tal - लय ताल
|
Lay aur tal kya hai |
Lay kise kehate hain? - लय का अर्थ
लय (Timbre) – संगीत
में गाने की अपनी एक “Chaal” होती है। किसी
गाने का पहला पद एक बार बोलने में जो समय लगता है, उस समय की
चाल को “Laya” कहते है.
Lay ke prakar - लय के प्रकार
लय (Rhythm)
तीन प्रकार (Types) की होती है -
1. विलंबित लय – मध्यलय से
धीमी गति की लय “Vilambit laya” होती है। इस लय में “Vilambit khayal” धमार,
मसितखानी गत, “Dhrupad” आदि Ektaal, तिलवाडा, चौताल,Tintal, झुमरा ताल आदि में
निबद्ध होते है.
2. मध्यलय – बीच की लय को “Madhyalaya” कहा जाता है।
ज्यादातर Rachna इसी लय से प्रारंभ होती है.
3. द्रुतलय – मध्यलय
से दुगुनी गति की Lay या तेज़ गति की लय “Drut laya” कहलाती है.
Taal kise
kehate hain? - ताल
की (Paribhasha)
ताल (Rythm) – विविध मात्राओ की समान इकाई को “Taal” कहते है। मात्राओ को नापने के लिए Tal का प्रयोग
होता है। “Sur taal lay” संगीत रूपी भवन के
स्तम्भ है। Laya से maatra और मात्रा
से ताल बनी है,
ताल अनेक मात्राओ की होती है विभाग द्वारा ताल का स्वरुप बनता है,
और विभिन्न तालो की रचना होती है।
Tal kitne prakar ke hote hain – ताल के
प्रकार
विभिन्न ताल समूहों को जब उनके विभाग, “Taali” खाली तथा मात्रा के अनुसार अलग-अलग विभक्त
किया जाता है, तो उन्हें ताल के प्रकार “Taal type” कहा जाता है। ताल असंख्य हो सकती है। जैसे – तीनताल “Ektaal”
आदि.
Taal
ke bhag - ताल के भाग
मात्रा (Unit) – ताल का ही एक भाग होकर संगीत में समय
नापने की क्रिया को “Maatra” कहते है। मात्रा का स्वरुप अचल न होकर Lay के आधार पर
घटता-बढ़ता रहता है.
आवर्तन (Rotation) – किसी Taal की सम्पूर्ण मात्राओ अथवा
Bol के समूह को “Aavartan” कहते है.
ठेका – किसी ताल के आवर्तन के बोलो के समूह को जो
तालवाद्य पर बजाया जाता है, “Theka” कहलाता है। दुसरे शब्दों में “Tabla” ढोलक, पखाबज के बोलो के आधार से ताल के रूप को स्पष्ट करने वाली कृति ठेका कहलाती है.
जैसे – धा,गे,न,ति,न,क,धि,ना ताल कहरवा का ठेका है।
सम - जिस ताल की पहली ताली जिस भी मात्रा पर पड़ती है,
उसे “Sam” कहते है। प्रायः ताल की पहली Maatraa पर ही “Sum” होता है। सम पर एक
विशेष जोर दिया जाता है। जिस कारण वह दूसरी मात्राओ से आसानी से पहचाना जा सकता है।
जिस प्रकार Sangeet का प्राण ताल है, उसी प्रकार Tal का प्राण “सम” है। सम को
प्रायः x चिन्ह से दर्शाते है.
ताली – ताल में सम के अतिरिक्त जिन-जिन मात्राओ पर ताली
बजायी जाती है, उन्हें “Taali” अथवा भरी कहते है। “Tali” को लिखते समय X,2,3 से दर्शाते
है। X का मतलब होता है, सम तथा “सम का अर्थ” होता है’ पहली ताली, और पहली ताली को
1 न लिखते हुए X चिन्ह से दर्शाते है.
खाली – ताल के जिन भागो पर ताली बजायी जाती है, वे “Bhari”
और जहा ताली नहीं बजायी जाती, वह “Khali” कहलाती है। ताल में sam की तरह “खाली” का
भी महत्वपूर्ण स्थान है, इससे सम का अंदाजा ठीक लग जाता है। खली को हम 0 से
दर्शाते है.
इस lesson में हमने “Tala” और लय क्या होती
है, तथा इनका संगीत में क्या योगदान है। साथ ही इनके अर्थ और “Paribhasha” को समझा,आगे के लेसन में हम तबला की परिभाषा उसके part व उससे सम्बंधित चीजों के बारे
में विस्तार से जानेंगे.
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